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अस्थिसंध्यार्ति
अस्थिसंध्यार्ति (अस्थिसंधि + आर्ति = ऑस्टियो-आर्थ्राइटिस (osteoarthritis)) में अस्थियों के जोड़ बिगड़ जाते हैं और उन्हें घुमाना/मोड़ना कष्तप्रद हो जाता है। इसको 'व्यपजनी आर्थ्राइटिस' (degenerative arthritis) भी कहते हैं। इस रोग में दो प्रकार के परिवर्तन होते हैं:
(१) अस्थियों के कुछ भाग गल जाते हैं और
(२) बहिस्थ भाग में नई अस्थि बन जाती है।
प्राय: मध्यस्थ भाग गलता है। जानुसंधि (घुटने का जोड़) में अर्धचंद्र उपास्थि के टूटे हुए भाग के रह जाने से ऐसा होता है। किंतु जहाँ कुछ व्यक्तियों में अनेक वर्षो में भी इस प्रकार के परिवर्तन नहीं होते, वहीं दूसरे व्यक्तियों में थोड़े ही समय में ऐसे परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं। अस्वाभाविक प्रकार से बहुत समय तक संधि के अवयवों पर भार पड़ता है। कुछ रोगविषों की क्रिया या संधि अथवा उसके समीप के अस्थिभाग का कुसंयोजित होना, पास की अस्थियों के रोग, स्नायुओं का ढीला पड़ जाना संधि का अतिचलायमान हो जाना तथा इसी प्रकार के अन्य कारण जिनसे चलने में संधि के अंतर्गत अस्थिभाग पर अनुचित दिशा में भार पड़ता है, उपर्युक्त परिवर्तनों के कारण होते हैं। किंतु परिवर्तनों की ठीक ठीक उत्पतिविधि का अभी तक ज्ञान नहीं हो सका है।
इन्हें भी देखें
- संधिशोथ (गठिया)
- आमवातीय संधिशोथ (रुमेटिक आर्थ्राइटिस)
बाहरी कड़ियाँ
- Arthritis Ireland
- American College of Rheumatology Factsheet on OA Archived 2011-07-18 at the Wayback Machine
- Osteoarthritis Archived 2015-01-07 at the Wayback Machine The Arthritis Foundation
- WebMDHealth: Osteoarthritis Basics Archived 2008-12-05 at the Wayback Machine at WebMD
- [1] Archived 2010-06-21 at the Wayback Machine American Chiropractic Association
- ऑस्टियोआर्थराइटिस - कारण, लक्षण, निदान और उपचार